महात्मा गांधी से संबंधित विशेष जानकारी क्या आप जानते हैं ?
मोहन दास करमचंद गांधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे वह सत्याग्रह के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे उनके इस अवधारणा की नींव संपूर्ण अहिंसा के सिद्धांत पर रखी गई थी जिसने भारत को आजादी दिला कर पूरे दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतंत्रता के प्रति आंदोलन के लिए प्रेरित किया उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानते है संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक समान सूचक शब्द है गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था उन्हें बापू के नाम से भी याद किया जाता है सुभाष चंद्र बोस ने रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कह कर संबोधित करते हुए आजाद हिंद फौज के सैनिकों के लिए उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएं मांगे थे प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को उनका जन्मदिन भारत में गांधी जयंती के रूप में पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था इनके पिता का नाम करमचंद गांधी था मोहनदास की माता का नाम पुतलीबाई था जो करमचंद गांधी की चौथी पत्नी थी मोहनदास अपने पिता के चौथी पत्नी की अंतिम संतान थे
गांधीजी विद्यार्थी के रूप में
मोहनदास एक औसत विद्यार्थी थे हालांकि उन्होंने यदा कदा पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी जीते वह पढ़ाई व खेल दोनों में ही तेज नहीं थे बीमार पिता की सेवा करना ,घरेलू कामों में मां का हाथ बटाना और समय मिलने पर दूर तक अकेले सैर पर निकलना उन्हें पसंद था उनके किशोरावस्था उनकी आयु वर्ग के अधिकांश बच्चों से अधिक हलचल भरे नहीं थे हर ऐसे नादानी के बाद वह स्वयं वादा करते "फिर कभी ऐसा नहीं करूंगा "और अपने वादे पर अटल रहते हैं उनमें आत्म सुधार के लॉ जलते रहते थे जिसके कारण उन्होंने सच्चाई और बलिदान के प्रतीक प्रहलाद और हरीश चंद्र जैसे पौराणिक हिंदू नायको को सजीव आदर्श के रूप में अपनाया
गांधी जी जब 13 वर्ष के थे और स्कूल में पढ़ते थे उसी वक्त पोरबंदर के एक व्यापारी के पुत्री कस्तूरबा से उनका विवाह कर दिया गया
1887 मैं मोहनदास ने जैसे तैसे' मुंबई यूनिवर्सिटी' की मैट्रिक की परीक्षा पास की और भावनगर स्थित सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया अचानक गुजराती से अंग्रेजी भाषा में जाने से उन्हें समझने में कुछ दिक्कत होने लगी इस बीच उनके परिवार में उनके भविष्य को लेकर चर्चा चल रहे थे अगर निर्णय उन पर छोड़ा जाता तो वह डॉक्टर बनना चाहते थे लेकिन वैष्णव परिवार में चिरफाड की इजाजत नहीं थी साथ ही यह भी स्पष्ट था कि यदि उन्हें गुजरात के किस राजघराने में उच्च पद पर प्राप्त करने की पारिवारिक परंपरा निभानी है तो उन्हें बैरिस्टर बनना पड़ेगा और ऐसे में गांधी जी को इंग्लैंड जाना पड़ा
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मोहन दास करमचंद गांधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे वह सत्याग्रह के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे उनके इस अवधारणा की नींव संपूर्ण अहिंसा के सिद्धांत पर रखी गई थी जिसने भारत को आजादी दिला कर पूरे दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतंत्रता के प्रति आंदोलन के लिए प्रेरित किया उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानते है संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक समान सूचक शब्द है गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था उन्हें बापू के नाम से भी याद किया जाता है सुभाष चंद्र बोस ने रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कह कर संबोधित करते हुए आजाद हिंद फौज के सैनिकों के लिए उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएं मांगे थे प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को उनका जन्मदिन भारत में गांधी जयंती के रूप में पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था इनके पिता का नाम करमचंद गांधी था मोहनदास की माता का नाम पुतलीबाई था जो करमचंद गांधी की चौथी पत्नी थी मोहनदास अपने पिता के चौथी पत्नी की अंतिम संतान थे
गांधीजी विद्यार्थी के रूप में
मोहनदास एक औसत विद्यार्थी थे हालांकि उन्होंने यदा कदा पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी जीते वह पढ़ाई व खेल दोनों में ही तेज नहीं थे बीमार पिता की सेवा करना ,घरेलू कामों में मां का हाथ बटाना और समय मिलने पर दूर तक अकेले सैर पर निकलना उन्हें पसंद था उनके किशोरावस्था उनकी आयु वर्ग के अधिकांश बच्चों से अधिक हलचल भरे नहीं थे हर ऐसे नादानी के बाद वह स्वयं वादा करते "फिर कभी ऐसा नहीं करूंगा "और अपने वादे पर अटल रहते हैं उनमें आत्म सुधार के लॉ जलते रहते थे जिसके कारण उन्होंने सच्चाई और बलिदान के प्रतीक प्रहलाद और हरीश चंद्र जैसे पौराणिक हिंदू नायको को सजीव आदर्श के रूप में अपनाया
गांधी जी जब 13 वर्ष के थे और स्कूल में पढ़ते थे उसी वक्त पोरबंदर के एक व्यापारी के पुत्री कस्तूरबा से उनका विवाह कर दिया गया
1887 मैं मोहनदास ने जैसे तैसे' मुंबई यूनिवर्सिटी' की मैट्रिक की परीक्षा पास की और भावनगर स्थित सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया अचानक गुजराती से अंग्रेजी भाषा में जाने से उन्हें समझने में कुछ दिक्कत होने लगी इस बीच उनके परिवार में उनके भविष्य को लेकर चर्चा चल रहे थे अगर निर्णय उन पर छोड़ा जाता तो वह डॉक्टर बनना चाहते थे लेकिन वैष्णव परिवार में चिरफाड की इजाजत नहीं थी साथ ही यह भी स्पष्ट था कि यदि उन्हें गुजरात के किस राजघराने में उच्च पद पर प्राप्त करने की पारिवारिक परंपरा निभानी है तो उन्हें बैरिस्टर बनना पड़ेगा और ऐसे में गांधी जी को इंग्लैंड जाना पड़ा
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